
===>!! सोरठा !!<===
===>!! प्रारम्भ !!<===
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन |
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ||
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अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं ,
दनुजवनकृशानुं ग्यानिनामग्रगणयम् |
सकल गुण निधानं वानराणामधीशं , रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||
गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम् ,
रामायण महामालारत्नं वन्देनिलात्मजम् ||
अंञ्जनी नन्दनं वीरं जानकी शोकनाशम् |
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम् ||
